मेरे प्रभु का ऐसा दिव्य प्रेमरंग है कि जिधर देखता हूँ उधर वही रंग (ईश्वर का प्रेम) छाया है। मैंने उस "लाली" (ईश्वरीय प्रेम) को देखने की इच्छा से ध्यान लगाया, और स्वयं ही उसी ईश्वरीय रंग में रंग डूब गया, प्रभु में लीन हो गया।
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